Sunday, 25 November 2018

भारत की स्थलीय सीमावर्ती देश

मेरे प्यारे दोस्तो
                     जो भी मेरे साथी गण विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे लगे हुए है उनके लिए यहां विशेष रूप से कुछ महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान की जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है आज के दौर मे केवल और केवल सामान्य ज्ञान की जानकारी होनी चाहिए वरना कोई भी सफलता मिलना असंभव ही है।आपको अपने आस-पास जिस प्रकार की जैसी भी ट्रिक मिलें उसे अपने पास रखले और जरूरत के समय काम मे लें। वर्तमान दौर मे पढने,लिखने एवं समझने के बजाय रटने पर बल दिया जाता है परिणामस्वरुप रटी हुई सामग्री हम कुछ दिनों बाद ही भूल जाते है मगर ट्रिक की सहायता से हम विभिन्न सामग्रियों को लम्बे समय तक अपने दिमाग मे रख सकते है। बार-बार दोहराव ही हमे सामान्य ज्ञान मे प्रवीणता दिला सकता है।
                                                         मुझे उम्मीद है कि आप सब अपने सुझाव देकर मुझे प्रोत्साहन देते रहेंगे।
आशा है कि जानकारी मे हुई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए मुझे अवगत करवाते रहेंगे और मेरा मार्गदर्शन करते रहेंगे।
धन्यवाद।

ट्रिक:-अभी मैंने पांच बंगले बनवाए।

अ----अफगानिस्तान(80 Km)
भी----भूटान(587 Km)
मैं----म्यांमार(1,458 Km)
ने----नेपाल(1,752 Km)
पां----पाकिस्तान(3,310 Km)
च----चीन(3,917 Km)
बां----बांग्लादेश(4,096 Km)
 बनवाए-----कुछ नही

Thursday, 22 November 2018

1 नवम्बर स्थापना दिवस-राज्य

मेरे प्यारे दोस्तो
                     जो भी मेरे साथी गण विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे लगे हुए है उनके लिए यहां विशेष रूप से कुछ महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान की जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है। आज के दौर मे केवल और केवल सामान्य ज्ञान पर पकड़ ही आपको सफलता दिला सकती है। आपको अपने आस-पास जिस प्रकार की जैसी भी ट्रिक मिलें उसे आप संभाल कर अपने पास रखले और जरूरत के समय काम मे लेवें। वर्तमान दौर मे पढने,समझने से ज्यादा रटने पर बल दिया जाता है परिणामस्वरुप रटी हुई सामग्री हम कुछ दिनों बाद ही भूल जाते है। इसलिए ट्रिक की सहायता से हम विभिन्न सामग्रियों को लम्बे समय तक अपने दिमाग मे रख सकते है। वैसे तो सामान्य ज्ञान याद करने का कोई शॉर्ट ट्रिक नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
                                           मुझे उम्मीद है कि मै जो भी जानकारी आपको उपलब्ध करवा रहा हूं वो आप सबके लिए उपयोगी साबित होगी। और आप सभी जानकारी मे हुई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए मुझे अवगत करवाते रहेंगे एवं समय-समय पर मेरा मार्गदर्शन करते रहेंगे।
धन्यवाद



आप के हक मे यूपी है।
आ-----आंध्रप्रदेश
प-------पंजाब
के-------केरल
ह-------- हरियाणा
क-------कर्नाटक
यूपी---------उत्तर प्रदेश

Tuesday, 20 November 2018

लोहे का उत्पादन करने वाले देश

मेरे प्यारे दोस्तो,
                     जो भी मेरे साथी गण विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे लगे हुए है उनके लिए यहां विशेष रूप से कुछ महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान की जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है। आज के दौर मे केवल और केवल सामान्य ज्ञान पर पकड़ ही आपको सफलता दिला सकती है। आपको अपने आस-पास जिस प्रकार भी ट्रिक मिलें,आप उसको हाथों-हाथ लिखकर अपने पास रखलें।और समय आने पर उसे उपयोग मे लेवें। वर्तमान दौर मे पढने,समझने से ज्यादा रटने पर बल दिया जाता है परिणामस्वरुप रटी हुई सामग्री हम कुछ दिनों बाद ही भूल जाते है। इसलिए ट्रिक की सहायता से हम विभिन्न सामग्रियों को लम्बे समय तक अपने दिमाग मे रख सकते है। वैसे तो सामान्य ज्ञान को याद करने का कोई शॉर्ट ट्रिक नही होता है पर फिर भी हम समय -समय पर दोहराव करके संबंधित विषय को याद कर सकते है।
             मुझे उम्मीद है कि मै जो भी जानकारी आपको उपलब्ध करवा रहा हूं वो आप सबके लिए उपयोगी साबित होगी। और आप सब जानकारी मे हुई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए मुझे अवगत करवाते रहेंगे एवं समय -समय पर मेरा उचित मार्गदर्शन करते रहेंगे।
                                             आपके सुझाव सादर आमंत्रित है।
                                                                                           धन्यवाद

*लोहे का उत्पादन करने वाले देशो का क्रम-----

"चीन आ बाई"
१. चीन
२.ऑस्ट्रेलिया
३.ब्राज़ील
४.ईण्डिया      

Monday, 12 March 2018

जनजाति:मुखिया,वेशभूषा,मेले

प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।



१.जनजाति:मुखिया-
पटेल--मीणा जनजाति में पंचायत का मुखिया होता है।
गमेती--भीलों के समस्त गाँवों का मुखिया होता है।
सहलोत--गरासिया जनजाति के गाँव का मुखिया होता है।
कोतवाल--सहरिया जनजाति का मुखिया होता है।
मुखी--डामोर जनजाति की जाति पंचायत का मुखिया होता है।
पालवी/तदवी--भीलों का मुखिया होता है।

२.जनजाति:वेशभूषा-
कछावू--भील स्त्रियों द्वारा घुटनों तक पहने जाने वाला घाघरा।
ठेपाड़ा--भीलों द्वारा पहने जाने वाला कुर्ता/अंगरखी/तंग धाती।
खोयतु--लंगोटिया भीलों द्वारा कमर पर बांधे जाने वाला कपड़ा होता है।

३.जनजाति:मेले-
वेणेश्वर मेला--भील जनजाति का
घोटिया अम्बा मेला--भील जनजाति का
मनखारो मेला--गरासिया जनजाति का
सीताबाड़ी का मेला--सहरिया जनजाति का
झेला बावसी का मेला--डामोर जनजाति का





सम्प्रत्यय निर्माण प्रविधि

प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।

सम्प्रत्यय-सम्प्रत्यय बालक के निश्चित व्यवहार को निर्धारित करता है। यदि किसी बालक के मस्तिष्क मे कोई सम्प्रत्यय अच्छा विकसित हुआ है तो बालक सदैव अच्छा व्यवहार करेगा और यदि सम्प्रत्यय बुरा है तो वह बुरा व्यवहार ही करेगा।
किसी सम्प्रत्यय का निर्माण करने के लिए बालक को पाँच स्तरों से गुजरना पड़ता है।

१.निरीक्षण- निरीक्षण के द्वारा बालक किसी वस्तु या विषय आदि के सम्प्रत्यय का निर्माण करता है।

२.तुलना-बालक निरीक्षण द्वारा बने हुए विभिन्न सम्प्रत्ययों मे स्वविवेक से तुलना करता है।

३.पृथक्करण-बालक दो सम्प्रत्ययों मे असमानता और समानता की बातों को अलग करता है।

४.सामान्यीकरण-इस क्रिया में बालक किसी वस्तु के सम्प्रत्यय का स्पष्ट रूप स्वीकार करता है।

५.परिभाषा निर्माण-बालक के उपर्युक्त चारों स्तरों से गुजरने के बाद वास्तविक सम्प्रत्यय का निर्माण उसके अंतर्मन मे बनना शुरू होता है।

सम्प्रत्यय निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक-
इन्द्रियाँ,बुद्धि की क्षमता,अवसरवादिता,समायोजन,पूर्णता।

अन्य कारक-लिंग,समय आदि।

अच्छे मूल्यांकन परीक्षण की विशेषताएँ

प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।


१.वस्तुनिष्ठता-जब किसी परीक्षण में प्रश्नों के उत्तर अलग-अलग न होकर केवल एक ही हो तब वह परीक्षा वस्तुनिष्ठ कहलाती है।
२.विश्वसनीयता-किसी परीक्षण की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उसकी विश्वसनीयता ही होती है।इससे तात्पर्य व्यवहार में शुद्धता और संगति से है।
३.वैधता-वैधता से हमारा तात्पर्य यह है कि कोई परीक्षण कितना शुद्ध और कितना सार्थक आंकलन करता है।वैधता के लिए परीक्षण का विश्वसनीय होना जरूरी है।
४.विभेदकारिता-इससे बालकों की योग्यता तथा अयोग्यता का पता लगाया जाता है।इससे होशियार और कमजोर छात्रो मे भेद किया जाता है।
५.व्यापकता-इसमे पाठ्यक्रम से सभी अंशो को सम्मिलित किया जाता है जिससे अधिक उद्येश्यों का मापन हो सकें।
६.व्यावहारिकता-जिस परीक्षण मे व्यावहारिकता का गुण होता है वही परीक्षण अधिक उपयोगी होता है।
७.स्पष्टता-किसी भी परीक्षण मे स्पष्टता तथा निश्चितता होनी चाहिए जिससे बालक आसानी से समझकर प्रश्नों के उत्तर दे सकें।
८.मानक-मानक की सहायता से समूह मे छात्र की विशेष स्थिति का पता लगाया जाता है और एक छात्र की दूसरे छात्र से तुलना भी की जाती है।

मूल्यांकन एवं परीक्षा मे अन्तर

प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।


परीक्षा-
१.परीक्षा का क्षेत्र संकुचित होता है।
२.परीक्षा वर्ष मे केवल निश्चित समय बाद ही आयोजित की जाती है।
३.परीक्षा से बालक की केवल शैक्षिक योग्यता ही निर्धारित होती है।
४.परीक्षा कम विश्वसनीय तथा वैध होती है।
५.परीक्षा तीन प्रकार की होती है-लिखित,मौखिक तथा प्रयोगात्मक।
६.परीक्षा से केवल वर्गीकरण तथा क्रमोन्नति ही की जा सकती है।
७.इससे प्राप्त निष्कर्ष परिमाणात्मक ही होते है।


मूल्यांकन-
१.मूल्यांकन का क्षेत्र व्यापक होता है।
२.मूल्यांकन एक सतत् प्रक्रिया होता है।
३.मूल्यांकन से बालक के संपूर्ण व्यक्तित्व तथा व्यवहार का पता चलता है।
४.मू्ल्यांकन विश्वसनीय तथा वैध होता है।
५.मूल्यांकन मे अनेको विधियो और प्रविधियो का प्रयोग होता है।
६.मूल्यांकन से छात्रो का वर्गीकरण,मार्गदर्शन,निदान तथा पूर्व कथन किया जा सकती है।
७.इससे प्राप्त निष्कर्ष परिमाणात्मक एवं गुणात्मक होते है।

Wednesday, 28 February 2018

खेल सिद्धांत

प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।


पूर्व अभिनय का सिद्धान्त-----मालब्रेंस

मूल प्रवृत्ति का सिद्धान्त-----मैक्डूगल

पुन: प्राप्ति का सिद्धान्त-----मालब्रेंस

पुनरावृत्ति का सिद्धान्त-----स्टेनले हॉल

परिष्कार का सिद्धान्त-----अरस्तु

अतिरिक्त शक्ति का सिद्धान्त-----शिलर,स्पेन्सर

शिक्षण विधियाँ

प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।



किंडरगार्टन विधि-----फ्रॉबेल

डाल्टन पद्धति-----कुमारी हेलन पार्कहर्स्ट

पर्यटन विधि-----पेस्टोलॉजी

माेंटेसरी शिक्षा प्रणाली-----डॉ. मारिया माेंटेसरी

खेल विधि-----हेनरी काल्डवेल कुक

खोज विधि-----आर्मस्ट्रांग

वैज्ञानिक विधि-----गुडवार एवं स्केट्स

प्रादेशिक विधि-----हर्बर्टसन

ब्रेल पद्धति-----लुई ब्रेल

प्रक्रिया विधि-----कमेनियस

प्रश्नोत्तर विधि-----हेनरी सुकरात

बेसिक शिक्षा----- महात्मा गाँधी

समाजमिति विधि-----जेकॉब एल.मोरेनो

रेखीय अभिक्रमित अनुदेश विधि-----बी.एफ.स्कीनर

शाखीय अभिक्रमित अनुदेश विधि-----नार्मन क्राउडर

विनेटिका विधि-----कार्लटन वाशबर्न

इकाई उपागम----- एच.सी.मॉरीसन

प्रायोजना विधि-----विलियम हेनरी किलपैट्रिक

सूक्ष्म शिक्षण-----डी.एलेन एचीसन/रॉबर्ट बुश

समस्या समाधान विधि-----सुकरात

मूल्यांकन-----जे.एम.राइस

ड्रेकाली शिक्षण प्रणाली-----ड्रेकाली

Friday, 23 February 2018

लेविन का क्षेत्रीय सिद्धान्त

प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।



यह लेविन का अधिगम संबंधी क्षेत्रीय सिद्धान्त कहलाता है।यह वातावरण मे व्यक्ति कि स्थिति पर आधारित है। यह हमे बताता है कि व्यक्ति जैसे वातावरण मे रहता है उसके सीखने पर वैसा ही प्रभाव पड़ता है।इसके चार मुख्य तत्व होते है-----
शक्ति,अभिप्रेरणा,जीवन-विस्तार,अवरोध

अधिगम के प्रकार---गेने


प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।



मनोवैज्ञानिक गेने ने अधिगम के 8 प्रकार बताए है।

१.संकेत अधिगम(निम्न कोटि का)

२.S-R अधिगम

३.श्रंखला अधिगम

४.शाब्दिक अधिगम

५.बहुविवेदन अधिगम

६.प्रत्यय अधिगम

७.सिद्धान्त अधिगम

८.समस्या समाधान अधिगम(उच्च कोटि का)