Wednesday, 22 November 2017

मनोविज्ञान की परिभाषाएँ


प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।




वुडवर्थ- 'मनोविज्ञान व्यवहार का शुद्ध विज्ञान है'
'मनोविज्ञान मन रहित विज्ञान है' 'सभी बालक जन्म से समान होते है मुझे कोई भी बालक दे दो मैं उसे चाहे जैसा बना सकता हूँ' ं

स्किनर-"मनोविज्ञान,व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।"

मन-"आधुनिक मनोविज्ञान का संबंध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है।"

क्रो व क्रो-"मनोविज्ञान मानव-व्यवहार और मानव सम्बन्धों का अध्ययन है।"

मैक्डूगल-"मनोविज्ञान जीवित वस्तुओं के व्यवहार का विधायक विज्ञान है।"

बोरिंग-"मनोविज्ञान मानव प्रकृति का अध्ययन है।"

वारेन-"प्राणी व वातावरण के मध्य पारस्परिक संबंध है।"

वाटसन-"मनोविज्ञान,व्यवहार का निश्चित विज्ञान है।"

विलियम जेम्स-"मनोविज्ञान की सर्वोत्तम परिभाषा स्वयं चेतना की अवस्थाओं के वर्णन एवं व्याख्या के रूप में दी जा सकती है।"

वुडवर्थ-सबसे पहले मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा का त्याग किया।फिर उसने अपने मन का त्याग किया।उसके बाद उसने चेतना का त्याग किया।अब वह व्यवहार की विधि को स्वीकार करता है।"       

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